अटल बिहारी वाजपेयी जो की एक भारतीय राजनीति के महान नेता और भारतीय जनता पार्टी(BJP) के प्रमुख थे। अटल बिहारी वाजपेयी भारत के प्रधानमंत्री पद पर भी रहे, और देश भर मे उन्हे एक सक्षम ,ईमानदार और सशक्त नेता के रूप मे जाना जाता है। उनकी जीवन गाथा और योगदान हम सभी के लिए बहुत ही प्रेरणादायक है। इस लेख मे हम उनकी सम्पूर्ण जानकारी देने का प्रयास करेंगे।
1. अटल बिहारी वाजपेयी का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
- जन्म और परिवार :» अटल बिहारी वाजपेयीका जन्म 25 दिसंबर 1924 मे ग्वालियर शहर मे हुवा था। उनके पिताजी का नाम कृष्ण बिहारी था , जो एक शिक्षक थे, और उनकी माता का नाम श्री मति कृष्णा देवी था। हम आपको बता दे की उनेके परिवार का माहौल भारतीय संस्कृति और परंपरा ओ से जुड़ा हुवा था ,जिसकी बजह से अटल बिहारी वाजपेयीजी को शुरू से ही नैतिक और सांस्कृति की शिक्षा मिली। उनका परिवार एक मध्यम वर्गीय था।
- अटल बिहारी वाजपेयी की शिक्षा :» अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी प्रारंभीक शिक्षा ग्वालियर के स्कूलों से प्राप्त की। उनको बचपन से साहित्य और राजनीति मे गहरी रुचि थी। और वे अपनी उम्र के बच्चों से अलग थे,क्योंकी उन्हे पढ़ने के साथ-साथ कविताए लिखने का भी बहुत शौक था। फिर ग्वालियर से उच्च विद्यालय की शिक्षा प्राप्त करने के बाद,उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दी कॉलेज से B.A की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद ,उन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से M.A की डिग्री प्राप्त की।
2. राजनीतिक जीवन की शुरुआत
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS)जुड़ाव
अटल बिहारी वाजपेयी के राजनीतिक जीवन की शरुआत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़कर शुरू हुई थी। और आपकी जानकारी के लिए बता दे की ,RSS एक हिन्दू राष्ट्रवादी संघठन है ,जिसे डॉ.के .बी हेडगेवार ने 1925 मे स्थापित किया था। अटल जी ने बचपन मे ही संघ के कार्यक्रमों मे भाग लेना सुरू किया था,और संघ की विचारधारा को गहराई से अपनाया। संघ मे उनकी कार्यशैली और नेतृत्व कौशल ने उन्हे एक प्रमुख कार्यकर्ता बना दिया।
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भारतीय जनसंघ मे प्रवेश
अटल बिहारी वाजपेयी ने 1950 के दशक के अंत मे इस पार्टी मे प्रवेश किया था। और अटलजी ने भारतीय जनसंघ के साथ मिलकर भारतीय राजनीति मे अपने कदम रखे ,1957 मे जब पहेली बार अटलजी ने दिल्ली से भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार के रूप मे लोकसभा चुनाव लड़ा ,ये उनके लिए राजनीतिक क्षेत्र मे एक बढ़ा कदम था । हालांकि वो इस चुनाव मे जीतने मे सफल नहीं हो पाए। फिर भी उन्होंने अपनी पार्टी की विचारधारा को फैलाने का काम किया।
- अटल बिहारी का संशद मे प्रवेश और उनके शरुआती कार्य
अटल बिहारी वाजपेयी ने पहेली बार 1957 मे लोकसभा चुनाव मे भाग लिया था, और इस दौरान वे भारतीय जनसंघ के लिए एक प्रमुख चहेरा बन गए थे। इसके बाद ,1950 के दशक के अंत मे, भारतीय जनसंघ की विचारधारा को मजबूत किया और इसे लोगों के बीच लोकप्रिय बनाने के लिए भाषणों और लेखों के माध्यम से जन जागरूकता फैलानी सुरू की।
1962 मे अटल बिहारी वाजपेयी को पहेली बार भारतीय संसद (लोक सभा) मे सांसद बनने का अवसवर मिला। और फिर वे भारतीय जनसंघ के प्रमुख के रूप मे सामने आए ,और फिर उनकी राजातिनिक कि दिशा भी धीरे-धीरे स्पष्ट होने लगी थी।
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अटल बिहारी वाजपेयी का भारतीय जनसंघ से भारतीय जनता पार्टी (BJP) तक का सफर
1977 मे, भारतीय जनसंघ ने अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर जनता पार्टी का गठन किया। यह पार्टी तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ चुनाव लड़ी और जीत हासिल की। अटल बिहारी वाजपेयी को उस समय यानि की 1977 मे विदेशी मंत्री बनाया गया। हालांकि जनता पार्टी का शासन सिर्फ तीन साल तक चला (1979 तक )
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अटल बिहारी वाजपेयी के राजनीतिक जीवन मे संघर्ष और सफलता
हम आपको बता दे की अटल बिहारी वाजपेयी के राजनिक जीवन की शरुआत आसान नहीं थी । शरुआती समय मे भारतीय जनता पार्टी के पास सीमित संसाधन ही थे , और भारतीय जनता पार्टी को जनता के बीच स्थापित करने मे बहोत सारी कठनाईया आई । लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी की देखरेख मे भाजपा ने धीरे -धीरे लोकप्रियता हासिल की। अटलजी के भाषण देने की कला , विचारशीलता ,और देशहीत मे लिए गए निर्णयों ने पार्टी को प्रमुख राजनीतिक ताकत बन दिया।
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अटल बिहारी वाजपेयी की प्रधानमंत्री बनने की दिशा
अटल बिहारी वाजपेयी का राजनीतिक जीवन 1990 के दशक मे और भी तेजी से आगे बढ़ा। और उन्होंने पहेली बार 1996 मे प्रधानमंत्री पद की शपथ ली , लेकिन उनकी सरकार बहुत ही कम दिनों तक चल सकी। हालंकी ,1998 मे फिर से प्रधानमंत्री बने और इस बार उनकी सरकार ने 13 महीने तक कार्य किया। 13 अक्टूबर 1999 मे दूसरी बार लगातार जीत हाजिल की और अटलजी फिर से प्रधानमंत्री बने , और इस बार उनकी सरकार पूरी तरह से स्थिर रही और 6 सालों तक कार्य करती रही।
3. प्रमुख कार्य और योगदान
1. परमाणु परीक्षण (1998):» 1998 मे अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने पोकरण मे 5 परमाणु परीक्षण कीये । इसके कारण भारत एक परमाणु शक्ति सम्पन देश बना। यह परीक्षण देश की सुरक्षा और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए एक एतिहासिक और महत्वपूर्ण कदम था।
जब की परमाणु परीक्षण करने के बाद कई देशों द्वारा भारत पर प्रतिबंध लगाए गए। लेकीन अटलजी ने अपने फैसले को सही ठहराते हुवे कहा की , हमारा यह निर्णय भारत की सुरक्षा और भविष्य के लिए बहुत जरूरी था।
2. गोल्डन क्वाड्रीलैटरल परियोजना :»अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत के प्रमुख शहेरो को एक दूसरे से जोड़ने के लिए गोल्डन क्वाड्रीलैटरल परियोजना की शरुआत की , इस परियोजना के माध्यम से दिल्ली ,मुंबई ,कोलकाता और चेन्नई जैसे बढ़े शहेरो को हाइवे नेटवर्क द्वारा जोड़ा गया , जिस की बजह से परिवहन ,व्यापार और औध्योंगिक गतिविधियों को बढ़ावा मिला।
3.आर्थिक सुधार और विकास :» अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था मे भी कई सारे सुधार हुए। उनके कार्यकाल मे भारतीय रूपीया स्थिर हुवा और विदेशी निवेश मे बढ़ोतरी हुई। उन्होंने वित्तीय क्षेत्र मे भी सुधार किया और कई नए कदम उठाए , जिसके कारण भारतीय बाजार वैश्विक स्तर पर खुलने लगे।
हम आपको बात दे की उन्होंने भारत मे निजीकरण की दिशा मे भी कई महत्वपूर्ण कदम उठाए ,जिसके कारण भारतीय उध्योंगो मे प्रतिस्पर्धा बढ़ी और विदेशी कंपनिओ के लिए भारत एक आकर्षण बाजार बन गया।
4. सड़क विकास और बुनियादी ठाचे मे सुधार :» अटलजी के नेतृत्व मे भारत मे सड़क निर्माण की गति भी तेज हुई। और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना ( PMGSY) के माध्यम से गावों को मुख्य शहरों से जोड़ने के लिए सड़कों के निर्माण पर ध्यान दिया गया।
इसके अलावा भारत ,नेपाल ,भूटान सड़क नेटवर्क और कई अन्य प्रमुख सड़क परियोजना शुरू की गई। जो ग्रामीण क्षेत्रों की प्रगति के लिए महत्वपूर्ण साबित हुई।
5. स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र मे सुधार :»अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की शुरुआत की ,जिसका उदेश्य देश मे स्वास्थ्य सेवाओ का विस्तार करना था । उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र मे भी कई सारे सुधार कीए ,और सर्व शिक्षा अभियान को बढ़ावा दिया।
6. विदेशी नीति मे बदलाव :» अटलजी ने भारत के रिश्तों को अमेरिका ,रूस ,जापान और यूरोपीय देशों के साथ मजबूत किया । अटलजी ने पाकिस्तान के साथ भी शांति प्रयास कीए ,2001 मे आगरा सम्मलेन की शुरुआत की। हालांकि यह सम्मलेन पाकिस्तान के साथ कुछ प्रमुख विवादों के कारण निर्णय तक नहीं पहुँच सका।
7. उधारी और सुरक्षा नीति :»अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने भारतीय सेना को आधुनिक उपकरण और संसाधन उपलब्ध कराए , जिसके कारण भारतीय सेना और भी ताकतवर हो गई।
8. संविधान और लोकतंत्र की रक्षा:»हम आपको बता दे कीअटलजी ने भारतीय लोकतंत्र और संविधान को हमेशा बनाए रखने का प्रयास किया। और उन्होंने आंतरिक सुरक्षा के लिए भी कई कदम उठाए और आतंकवाद के खिलाफ सख्त कानून बनाए।
4. सम्मान और पुरस्कार
- भारत रत्न (2015):»

अटल बिहारी वाजपेयी को 2015 मे भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। यह पुरस्कार उन्हे उनके अच्छे नेतृत्व , भारतीय राजनीति मे योगदान ,और देश की सेवा करने के लिए प्रदान किया गया। यह सम्मान उन्हे उनके जीवनकाल के दौरान दिया गया ,जो उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि थी।
- साहित्य सम्मान :» अटल बिहारी वाजपेयी के साहित्यक योगदान को भी कई बार सम्मानित किया गया। क्योंकी वे एक कवि ,लेखन ,और वक्ता थे , जिनकी कविता और लेखों मे जीवन, राजनीतिक ,और समाज के प्रति गहरी समज दिखाई देती थी। उन्होंने अपनी कविताओ से न केवल राजनीति को ,बल्कि भारतीय संस्कृति और जीवन के मूल्य को भी समृद्द किया ।
अटलजी को और भी कई अन्य सम्मान और पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था।
5. निधन
- भारत देश के पूर्व प्रधानमंत्री और भारतीय राजनीति के महान नेता अटल बिहारी अटल बिहारी वाजपेयी का निधन 16 अगस्त 2018 मे दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान मे हुवा , जब उनका निधन हुवा तब उनकी उम्र 93 वर्ष की थी। अटलजी का निधन पूरे देश के लिए बड़ी दुख की बात थी। क्योंकी उन्होंने भारतीय राजनीति और समज के विभिन पहलूओ मे एक गहरी छाप छोड़ी थी।
अटल बिहारी वाजपेयी का जीवन हमे यह सिखाता है की देश और समाज के प्रति सच्ची निष्ठा,महानता की कुंजी होती है। और अटलजी के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। क्योंकी वे न केवल एक महान नेता थे , बल्कि एक महान इंसान भी थे ,जिनका समर्पण और योगदान हमेशा हमे हमारे जीवन मे प्रेरित करता रहेगा ।