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दाहोद जिला
गुजरात राज्य के पूर्व मे स्थित दाहोद जिला ,जिसके उतर मे राजस्थान के बांसवाड़ा जिले की सीमा और पश्चिम मे गोधरा जिला और पूर्व और दक्षिण मे मध्यप्रदेश के जाबूआ जिले की सीमा लगती है ।
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दाहोद जिले का एतिहासिक महत्व
दाहोद जिला पंचमहल जिले से 02-10-1997 मे विभाजन होने के बाद आस्तित्व मे आया था । दाहोद का एतिहासिक महत्व बहुत पुराना है । यह क्षेत्र प्राचीन काल मे प्रमुक व्यापारिक मार्गों का हिस्सा था , और इसके आसपास कई एतिहासिक स्थल है । जो इसके प्राचीन और समृद्ध अतीत को दर्शाते है । दाहोद का ये क्षेत्र मौर्य और गुप्त साम्राज्य के लिए भी महत्वपूर्ण था । इसके बाद यह सुलतानीयत और मुगल साम्राज्य के अधीन भी रहा था। दाहोद शहर मुगल 5 वे मुगल सम्राट शाहजहा के बेटे 6 वे मुगल सम्राट औरंगजेब के जन्म स्थल लिए भी जाना जाता है ।
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दाहोद की प्राकृतिक सुंदरता ओर भूगोल
दाहोद जिला प्राकृतिक नजरिए से समृद्ध है ,और यहा के हरे,भरे पेड़ ,घाटिया ,जलप्रात और नदिया इस क्षेत्र प्राकृतिक रूप से आकर्षक और सुंदर बनाती है। यहा का मौसम भी अनुकूल होता है । खास कर के मानसून के दौरान जब पूरा इलाका हरी-भरी सुंदरता से ठक जाता है ।
पानम ,खान ,कुलतारी ,माछन ,और अनास ये नदिया भी दाहोद जिले से होकर बहती है ,जो इस क्षेत्र कृषि के लिए अत्यधिक और महवपूर्ण है । इसके अलावा यह पर छोटे-बड़े जलप्रात और वन्यजीव अभायरणों का भी अस्तित्व है, जो पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करते है, इन प्राकृतिक स्थानों का न केवल स्थानीय जीवन मे है , बल्कि पर्यटकों के लिए भी ये एक आदर्श स्थल है।
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दाहोद जिले की संस्कृति और परंपरा
दाहोद की सांस्कृतिक धरोहर बहुत ज्यादा विविध और रंगीन है । यहा की पारंपरिक कला,संगीत ,त्योहार और नृत्य इस क्षेत्र की सांस्कृतिक और विविधता को दर्शाते है। गुजराती संस्कृति के प्रभाव मे यहा के लोग पारंपरिक त्योहार जेसे की नववर्ष ,मकर संक्राति ,होली ,और दीपावली को धूमधाम से मनाते है। इसके अलावा ,यहा के लोग संगीत और नृत्य मे भी अपनी अलग पहचान रखते है।
दाहोद का एक विशेष पहलू उसकी जनजातीय सांस्कृति है। क्यों की यह जिला विभिन जनजातियों का घर है। यहा की जनजातीय महिलाए अपने पारंपरिक पहरावे और आभूषणों मे अत्यधिक सुंदरता से सुसज्जित होती है। जो उनके सांस्कृतिक समृद्दि को प्रगट करती है।
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दाहोद जिले के धार्मिक स्थल
दाहोद जिले मे धार्मिक स्थलों का भी विशेष महत्व है । प्राचीन शिव मंदिर बावका और केदारनाथ मंदिर यहा के प्रमुक मंदिरों मे सामील होते है । ये मंदिर स्थानीय लोगों की धार्मिक आस्था और परंपराओ से जुड़े हुए है। इसके अलावा दाहोद मे स्थित काली डोंगर और भगवान शिव का मंदिर भी दर्शिनीय है। यह स्थल न केवल धार्मिक महत्व रखते है ,बल्कि पर्यटकों के लिए भी आकर्षक का केंद्र बने हुए है ।
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shiv mandir bavaka
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kedarnath mandir dahod
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आधुनिक दाहोद
वर्तमान मे दाहोद जिला तेजी से विकास की दिशा मे बढ़ रहा है। यहा की बुनयादी ,ढ़ाचा ,शिक्षा,स्वास्थ सेवाओ ओर परिवहन मे भी सुधार हो रहा है।दाहोद मे उद्योगो के कारण नए रोजगार के अवसर भी मिल रहे है। इसके अलावा यह क्षेत्र वाणिज्य और व्यापार गतिविधियों मे भी तेही से वृद्धि कर रहा है।
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दाहोद जिला एतिहासिक ,सांस्कृतिक और प्राकृतिक नजिरिए से एक अनोखा स्थान है। ये न केवल अपने ग्रामीण परिवेश और एतिहासिक स्थलों के लिए प्रसिद्द है, बल्कि यह क्षेत्र अब एक आधुनिक और प्रगतिशील दिशा मे बढ़ रहा रहा है। दाहोद जिले मे रहेने वाले लोग अपनी परंपराओ ओर संस्कृति को जीवित रखते हुए,आधुनिकता को अपनाकर अपने जीवन मे संतुलन बनाए रखते है। इस जिले की सुंदरता और विविधता और एतिहासिक महत्व को व्यति को अनुभव करना चाहिए ।
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