- राजस्थान के जेसलमेर जिले के पास स्थित कुलधरा गांव एक एसा स्थान है जहा समय के प्रवाह मे एक अनोखी शांति व्याप्त है । यह गांव आज भी एक रहस्यमई स्थान के रूप मे प्रसिद्ध है तथा इसकी एतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत इसे पर्यटन द्रष्टि से एक महत्वपूर्ण स्थान बनाती है ।
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कुलधरा गांव का इतिहास
कुलधरा गांव का इतिहास 13 वीं शताब्दी का है । यह गांव पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा बसाया गया था ,जो अपनी कुशलता और विद्वता के लिए प्रसिद्ध थे । पालीवाल ब्राहमण मुख्यत व्यापार और प्रशासन मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे । कुलधरा गांव उनके द्वारा विकसित ,समृद्ध और आत्मनिर्भर गांव था । यह गांव वर्षों तक समृद्ध और खुशहाल था, लेकिन ये गांव अचानक एक दिन उजाड़ हो गया ,और इस गांव के रहने वाले लोग कही और रहने चले गए ,और तबसे कुलधरा गांव खाली और उजाड़ हो गया । इस घटना ने गांव को रहस्यमय और अलौकिक स्थान बना दिया ।
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कुलधरा गांव का परित्याग और उसका रहस्य
कुलधरा गांव के लोग अचानक गांव क्यों और किस कारण से छोड़कर चले गए ,यह आज भी एक बढ़ा सवाल है । एक प्रसिद्ध दंतकथा है की कुलधरा गांव के लोगों ने एक अत्याचारी मंत्री के शोषण से तंग आकर गांव छोड़ने का फैसला लिया था । इस मंत्री का नाम सलीम सिंह था ,जो जैसलमेर के तत्कालीन प्रधानमंत्री के रूप मे कार्यरत थे । दंतकथा के अनुसार ,मंत्री ने कुलधरा गांव की एक सुंदर लड़की को देखा और उसे अपनी हरम मे शामिल करना चाहा । जब लड़की ने यह बात नहीं मानी तो मंत्री ने गांव वालों को मजबूर कर उस लड़की को अपनी हवस का शिकार बनाना चाहा ,लेकिन गांव वाले इस अत्याचार को सहन नहीं कर सके और एक रात उन्होंने गांव छोड़ने का फैसला कर लिया ।
कहा जाता है की गांव छोड़ते समय पालीवाल ब्राह्मणों ने श्राप देकर गांव को हमेशा के लिए उजाड़ कर दिया था । कुछ लोगों का मानना है की गांव छोड़ते समय उन्होंने कोई रहस्यमई मंत्र का प्रयोग किया था ,जिसके कारण कूलधरा गांव आज भी वीरान है ।
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कुलधरा गांव की बनावट
कुलधरा गांव आकार मे छोटा था ,लेकिन इसमे एक अनूठी स्थापना शैली देखि जा सकती थी। गांव मे बने मकान और उनकी बनावट इस बात का सबूत है की पालीवाल के ब्राह्मणो की वास्तुकला और सामाजिक व्यवस्था कितनी समृद्ध थी । ज्यादातर घर ईंटों और पत्थरों का उपयोग करके बनाए गए है और कुछ घरो मे जालीदार खिड़किया और दरवाजे भी है ,जो उस समय की वास्तुकला के उदाहरण है ।
गांव मे एक मंदिर भी है ,जो धार्मिक द्रष्टि से महत्वपूर्ण है । मंदिर का शिखर अभी भी खड़ा है , लेकिन यह अभी भी खाली और उजाड़ है , मानो पुरे गांव की कहानी कह रहा हो।
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कुलधरा गांव का भ्रमण
आजकल कुलधरा गांव एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन गया है । पर्यटक यंहा आते है और इस रहस्यमई जगह का पता लगाते है । गांव के खंडहरो मे घूमते हुए लोग इसके इतिहास और अभिशाप के बारे मे सोचते है । इस जगह के बंजर और शुद्ध वातावरण मे कुछ एसा आकर्षण है ,जो पर्यटकों को अपनी और खिचता है ।
कुलधरा गांव मे दिन के समय तो अजीब सी शांति छाई रहती है । लेकिन शाम होते ही माहौल रहस्यमय हो जाता है । कई पर्यटक दावा करते है की उन्होंने यहा रात मे अजीब आवजे सुनी है ,जैसे किसी के जोर से चीखने की आवाज या किसी के कदमों की आवाज । लेकिन ये घटनाए कभी सिद्ध नहीं हुई ,फिर भी इन दंतकथाओ ने गांव को और रहस्यमई बना दिया है।
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कुलधरा गांव की सांस्कृतिक विरासत
कुलधरा गांव की सांस्कृतिक विरासत भी समृद्ध रही है । यहाँ के लोग उच्च नैतिक और धार्मिक मूल्यों के अनुयायी थे । पालीवाल ब्राह्मणों का धर्म ,उनके रीति -रिवाज और उनकी वास्तुकला इस गांव की विशेषताओ मे से थी । गांव का मंदिर न केवल पूजा का स्थान था ,बल्कि यह यहाँ के लोगों के लिए जीवन का केंद्र भी था ,यहाँ के लोग अपने पारंपरिक संगीत ,नृत्य और कला के प्रति समर्पित थे । स्थानीय संस्कृति और परंपराओ मे पालीवाल ब्राह्मणों का योगदान बहुत महत्वपूर्ण था ।
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कुलधरा गांव का अभिशाप : सच या कल्पना
कुलधरा गांव के बारे मे आम धारणा यह है की यहा के लोग शापित है और इसी कारण यह गांव उजड़ा है । लेकिन इस श्राप के पीछे का असली कारण अभी तक ज्ञात नहीं है । कुछ लोग इसे महज एक दंतकथा मानते है ,जबकि अन्य इसे एतिहासिक घटना मानते है ।
सच्चाई जाहे जो भी हो ,लेकिन कुलधरा गांव ने समय के साथ अपनी अलग पहचान बना ली है । शाप ,उजाड़ और इतिहास ने इसे एक अनोखो और रहस्यमय स्थान बना दिया है ।