जैसे की आपको और हम सभी को पता है की भारतीय इतिहास वीर पुरुषों और भव्य साम्राज्यों की कहानीओं से भरा पड़ा है , लेकिन इस जीवंत इतिहास मे महिलाओं के योगदान को अक्सर कम करके आँका जाता है । प्राचीन काल से लेकर आधुनिक युग तक ,भारत मे महिलाओं ने राष्ट्र के भाग्य को आकार देने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ये महिलाए योद्धा , दार्शनिक , कवि ,स्वतंत्रता सेनानी और नेता रही है , जिनमे से प्रत्येक ने भारत के इतिहास के समृद्ध ताने -बाने मे एसे तरीके से योगदान दिया है जिसने समाज पर एक अमिट छाप छोड़ी है ।
इस लेख मे हम भारत के इतिहास मे कुछ प्रभावशाली महिलाओं के योगदान का पता लगाएंगे
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रानी दुर्गावती
गोंडवाना की रानी दुर्गावती को उनकी बहादुरी और नेतृत्व के लिए याद किया जाता है। यह एक योद्धा रानी थी , उन्होंने 16 शताब्दी मे मुगल आक्रमणों के खिलाफ लड़ाईया लड़ी और अपने राज्य की रक्षा की। अपने राज्य के अंतिम पतन के बावजूद , रानी दुर्गावती का साहस भारतीय इतिहास मे प्रतिरोध और वीरता का प्रतीक बन गया। उन्हे अक्सर भारत की सबसे महान शासकों मे से एक माना जाता है।
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झांसी की रानी लक्ष्मीबाई
शायद भारतीय इतिहास की सबसे प्रतिष्ठित शख्सियतों मे से एक , झांसी की रानी लक्ष्मी बाई 1857 मे भारतीय स्वतंत्रता के प्रथम युद्ध के दौरान प्रतिरोधी का चहेरा बन गई। अपनी वीरता और नेतृत्व के लिए जानी जाने वाली , उन्होंने युद्ध मे अपने सैनिकों का नेतृत्व किया , अपनी ताकत और अपने संकल्प से लाखों भारतीय को प्रेरित किया। उनके बलिदान ने महिलाओ की पीढ़ियों को अपने अधिकारों के लिए खड़े होने और उत्पीड़न के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित किया।
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सरोजनी नायडू
” भारत की कोकिला ” के रूप मे जानी जाने वाली सरोजनी नायडू न केवल एक प्रसिद्ध कवि थी, बल्कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम मे एक प्रमुख व्यक्ति भी थी। एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप मे , वह ब्रिटिश शासन के खिलाफ अहिंसक संघर्ष मे सक्रिय रूप से शामिल थी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अद्यक्ष बनने वाली पहली महिला बनी। उन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो यात्रा मे भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारतीय साहित्य और राजनीति मे उनके योगदान को आज भी याद किया जाता है।
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कस्तूरबा गांधी
महात्मा गांधीजी की पत्नी कस्तूरबा गांधी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हालांकि अक्सर अपने पति की प्रसिद्धि के कारण उनकी छवि धूमिल हो जाती है, लेकिन सामाजिक सुधारों मे कस्तूरबा की सक्रियता और भूमिका महत्वपूर्ण थी। वह दांडी कुच और भारत छोड़ो आंदोलन सहित विभिन्न आंदोलन मे गहराई से शामिल थी और महिलाओं की शिक्षा ,स्वास्थ और सशक्तिकरण की वकालत करती थी।
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सावित्रीबाई फुले
सावित्रीबाई फुले शिक्षा और सामाजिक सुधार के क्षेत्र मे अग्रीणी थी। भारत की पहली महिला शिक्षिकाओं मे से एक के रूप मे, उन्होंने एसे समय मे महिलाओं की शिक्षा की वकालत करने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अपने पति ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर उन्होंने 1848 मे पुणे मे लड़कियों के लिए पहला स्कूल स्थापित किया, जिसमे महिलाओं पर लगाए गए पारंपरिक अवरोधों को चुनौती दी गई। सावित्रीबाई को अक्सर भारतीय महिला शिक्षा की जननी माना जाता है।
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इंदिरा गांधी
भारत की पहली प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी देश के इतिहास मे सबसे शक्तिशाली राजनीतिक नेताओं मे से एक है। वे एसी ताकत थी ,जिन्होंने भारत को महान राजनीतिक और आर्थिक उथल-पुथल के दौर से बाहर निकाला। युद्धों के दौरान उनके नेतृत्व, उनकी आर्थिक नितियों और भारत के भविष्य के लिए उनके द्रष्टीकोण ने उन्हे दुनिया की सबसे प्रभावशाली महिलाओं मे से एक के रूप मे स्थापित किया है।
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कल्पना चावला
अतिरिक्ष मे जाने वाली भारतीय मूल की पहली महिला कल्पना चावला ,साहस और वैज्ञानिक श्रेष्ठता की प्रतीक थी। कल्पना चावला नासा के अतिरिक्ष शटल कार्यक्रम का हिस्सा थी विज्ञान और प्रौध्योंगिकी मे महत्वाकांक्षी युवा महिलाओं के लिए वैश्विक प्रेरणा बन गई। 2003 मे स्पेस शटल कोलंबिया आपदा के दौरान उनकी दुखद मृत्यु ने STEM क्षेत्रों मे महिलाओं के लिए एक अग्रणी के रूप मे उनकी विरासत को और मजबूत किया।
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